
स्वार्थ हर रिश्ते में बसा है
कहीं कम तो कहीं ज्यादा
जहाँ कम वहाँ अपना
जहाँ ज्यादा वहाँ परायापन
रिश्तों में कुछ ऐसे ही
चलता है जोड़-घटना
Akanksha
.
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स्वार्थ हर रिश्ते में बसा है
कहीं कम तो कहीं ज्यादा
जहाँ कम वहाँ अपना
जहाँ ज्यादा वहाँ परायापन
रिश्तों में कुछ ऐसे ही
चलता है जोड़-घटना
Akanksha
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