
गर्मी की दोपहरी में
बाग बगीचों में
आम की डालियों पे
सुरीली वाणी लिये
फिरती रहती है
ढनकती रहती है
थोडी सी मिठास की खोज में
गर्मी की दोपहरी में
बाग बगीचों में
आम की डालियों पे
सुरीली वाणी लिये
फिरती रहती है
ढनकती रहती है
थोडी सी मिठास की खोज में
5 responses to “Cuckoo /कोयल”
Beautiful lines thanks for sharing 🙂 Cuckoo feels us Spring.
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Thanks for poem and cuckoo…….
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You are welcome stay blessed ❣️💕
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बहुत सुंदर ।
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धन्यवाद….
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