
हमारा देश भारत जहाँ लोगों के लिए लोगों के हित में भारत के नागरिक के तौर पर उनके अधिकारों को लेकर कई कानून बनाये गए हैं और समय समय पर उन कानूनी अधिकारों को लेकर सुधार किये जाते हैं व नये कानून बना उनके अधिकारों की रक्षा की जाती है।
यह कानून कभी सत्ता में बैठी सरकार तो कभी भारत का उच्तम न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा र्निमित किया जाता है । ऐसा ही एक मुद्दा चर्चा में है या यूँ कहें हमेशा से इस समाज में यह विषय सूल की तरह चुभा हुआ है विषय ‘पिता की सम्पत्ति में बेटियों का अधिकार’ यह सवाल भारतीय समाज हमेशा रहा है । हमारे हिन्दू समाज में पैतृक सम्पत्ति में केवल बेटों को अधिकार मिलता है । एक हो या चार छः पिता की सम्पत्ति सिर्फ बेटों में ही बाटी जाती है घर की बेटियों को पिता की सम्पत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता था ।
बीते कई दशक से भारतीय समाज में यह चर्चा तेज हो गई है की बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिले जिसे लेकर कई कानून भी बनाए गए हैं। साल 2005 से पहले पैतृक सम्पत्ति पर बेटियों का अधिकार नहीं था उसके बाद बेटियों को भी बराबरी का अधिकार दे दिया गया । इस कानून के बनने से बहुत सी बेटियों की समस्या का सामाधान हो गया परन्तु कुछ महिलाएं ऐसी भी थी जिनके पिता की मृत्यु साल 2005 के पहले हो गई थी उनके लिए सम्पत्ति के बटवारे में साल 2005 में बना यह कानून अड़चन बनने लगा जिस पर लम्बे अरसे बाद साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया की अगर किसी के पिता की मृत्यु 9 सितम्बर 2005 के पहले हुईं हो तब भी बेटी का पैतृक संपत्ति पर हक होगा। इस कानून के आने से पैतृक संपत्ति में बेटों व बेटियों का हक बराबरी का हो गया ।
परन्तु हमारे समाज में बहुत सी महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर जागरूक नहीं हैं जिस कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाता । हमारे समाज में जो बेटी पैतृक संपत्ति में अपने अधिकार मांगती है उसे समाज में भेद-भाव का सामना करना पड़ता है। शहरी इलाकों के साथ-साथ दूर दराज के गावों में सम्पत्ति से जुड़े अधिकारों व इस कानून की जानकारी ना के बराबर है। जिसके कारण कई महिलाओं को उपेक्षा व बदहाली व अर्थिक तंगी का जीवन जीना पड़ता है । संसद व सरकार जब भी लोकहित में कोई कानून बनाती है तो उसे जमीनी हकीकत पर कार्य करने हेतू उससे सम्बंधित जागरूकता कार्यक्रम भी चलाना चाहिए ताकि लोग अपने अधिकारों को अच्छी तरह से जान -समझ सकें उन कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर खूद को लाभान्वित कर सकें ।
