ज़िन्दगी की भाग -दौड़ रोज़र्मरा को ज़िंदगी में कभी काम की टेंशन तो कभी अपनों की टेंशन किसी ने कुछ कह दिया तो कोई आप से नाराज़ हो गया । दिन हफ़्ते महीने साल बस इसी में गुज़र जाते हैं हर इंसान का खुद के लिए क्या ज़रूरी है यह हम समझ ही नहीं पाते खुद से मतलब स्वार्थ से नही है अपना ख़याल रखने से है सम्मान, आत्मसम्मान से है जीवन में कुछ बनने से अपनी इच्छानुसार पेशे में नौकरी करने से है पर एक महिला तौर पर जो एक माँ ,बहन ,बेटी होती है उसके जीवन में यह अवसर उसे कम ही मिलता है भारतीय समाज में एक महिला के जीवन में यह कमी साफ नज़र आती है । महिलाएं खुद को नज़र अन्दाज़ कर परिवार की सेवा में सर्मपित होती हैं भारतीय समाज में यह देखा जाता है कि महिलाएं शादी से पहले पिता के कहे अनुसार चलती हैं तो शादी के बाद पति व ससुराल वालों के अनुसार जीवन जीती हैं उनकी परवरिश ऐसे कर दी जाती है की मानों उनकी कोई इच्छा ही नहीं है वो खुद को खुद की इच्छाओं को आखिर में रखती हैं ।यदि वह अपनी कोई इच्छा बता देती हैं परिवारजनों को तो उन्हें फौरन स्वर्थी कह चुप करा दिया जाता है वो भी खुद गलत मानने लगती हैं अपनी इच्छाओं को मन में दबा जीवन जीने लगती हैं यह भी भारतीय महिलाओं की समाज में खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार है आज की महिलाओं को यह समझना होगा की परिवार व परिवारजनों का रखाल रखने के साथ अपना भी खयाल रखना आवश्यक है आज के जीवनशैली की उनकी खुद की आवश्यकता है किसी पेशे को अपना उस क्षेत्र में काम कर उपलब्धि प्राप्त करना धन अर्जित करना कोई गलत सोच नहीं है इसलिए खुद के लिए आवाज उठायें अपने लिए भी सोचें सिर्फ परिवार वालों के लिए एक दोयम दर्जे का जीवन न जीये अपना ख़याल रखें अपने स्वभिमान की रक्षा स्वयं करें अपने सपनों पर कार्य करें ।
