”World children’s day” या Universal children’s day की शुरूआत UN ( United Nations) ने 1954 में की थी ।
जिसमें बच्चों के अधिकारोंं व हितोंं को लेकर कुछ नियम बनाए व दुनिया में बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने का काम शुरु किया।दुनियाभर के सभी देशोंं मेें UN बच्चों के हितों व अधिकारोंं के लिए कार्यरत रहता है। परन्तु इतना काफी नहीं है इस बिषय पर समाज के हर वर्ग का जागरूक होना होगा सचेतपूर्वक बाल अधिकारों के लिए कार्यरत रहना होगा।बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा व स्वास्थ्य पर बिशेष कानून बना कर कार्य करना होगा देश -विदेश की हर संस्था को एकजुट होकर कार्य करने का प्रण लेना होगा।

परन्तु दक्षिण एशिया के घनी आबादी वाले देश जिसमेें भारत भी सामिल है वहाँ चुनौतियां भी बहुत हैं। बाल मजदूरी, मानव तस्करी व यौनशोषण में फँसे बच्चों की स्थिति गम्भीर है जहाँ दिव्यांग बच्चों की स्थिति और भी दयनीय व सोचनीय है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम नाकाफी साबित हो रहे हैं दिव्यांग बच्चों की शिक्षा समाज में समान स्थान दिलाना एक चुनौती बन चुकी है ।

जहाँ गरीबी और अशिक्षा ने अपनी जड़ें गहरी जमां रखी है। वहाँ UN के कार्यों को लागू करने के लिए भारत सरकार को इस क्षेत्र में युद्ध स्तर पर कार्य करने की बहुत आवश्यकता है।