‘पराली’ शब्द इस नवम्बर के महिने में उत्तरी भारत में खूब सुनाई देता है। tv पर बहस भी खूब होती हैै ‘पराली’ कटी हुई फसल की जड़ जो खेत में रह जाती है जिसे आम भाषा मेंं ठूंठ या पराली कहते हैं अगली फसल की बोआई के पहले खेत में बची हुई पराली जला कर खेत को अगली फसल के लिए तैयार किया जाता है ।
इस महीने में दिल्ली के बढ़े वायु प्रदुषण की वजह सरकार इस पराली को ही मानती है जिसका समाधान सरकार नहीं निकाल पा रही है । सुप्रीम कोर्ट तक बेबस नज़र आ रही है । राज्य सरकारें एक -दुसरे पर दोषारोपण करते रह जाते हैं और यह समस्या साल दर साल बढ़ती जा रही है । हालांकि जानकारों का यह कहना भी है की पराली से होने वाला प्रदुषण बहुत ही कम है ।

वाहनों का धुँआ ,कम्पनियों ,कारखानों से निकलने वाला धुँआ ज़्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।